Sunday, July 11, 2010

मेरी कवितायेँ : ये बारिशें

आंसू मेरी आखों से तेरी याद में बस बहे हैं ,
ये बादल मगर न जाने किसलिए तड़प रहा है !

उस खुदा को भी शायद मेरे दर्द का पता है ,
अपनी नियामतों से वो मुझको भीगो रहा है !

भीगते हुए ये ज़ख्म ज़माने से छुप ही जाते है,
मेरे अश्क और ये पानी मिलके बह रहा है !

ये बारिशें कुछ वक़्त में शायद बंद भी हो जाए,
मेरे दिल का ये बादल बहुत दिनों से रो रहा है !

"भूमिपुत्र "