Friday, September 25, 2009

मेरी कवितायें : बहुत अकेला हो गया हूँ

ख्वाबों के महल गिरकर टूटे , तिनके तक उडा ले गई हवा !
साया भी नही है साथ मेरे , बहुत अकेला में हो गया हूँ !!

आंसू मेरे दिख न जाए , बारिशों में ही निकलता हूँ
साँसे भी साथ छोड़ रही है , बहुत अकेला में हो गया हूँ !!

वो ही एक ठहराव था , जो मेरी रूह को सुकून दे गया
ख़ुद से बातें करता हूँ , बहुत अकेला में हो गया हूँ !!

किसी और से मिले लगता है , बहुत वक्त निकल गया
आइना नही पहचानता मुझे , बहुत अकेला में हो गया हूँ !!

"भूमिपुत्र"

Tuesday, September 22, 2009

मेरी कवितायें: वो बदल गया

बदला वो इस तरह के , मेरी ज़िन्दगी बदल गया
मुझे ऐसे मरता देखकर , दील उसका शायद बहल गया !!

दुश्मन होता अगर कहीं वो , तो शायद समझ भी जाता ,
हमसफ़र जिसे माना मैंने , कत्ल करके निकल गया !!

इंतज़ार किसिका करने की, हद भी कोई होती है ,
वो तो आया नही और, में बुत बनकर रह गया !!

मुट्ठी में भरी रेत जैसे ,उसे अपना मान लिया था मैंने ,
ख्वाब सारे टूट गए हैं, वो हाथ झटककर चल गया !!

"भूमिपुत्र "